पितृपक्ष 2024 :- क्या करें, क्या न करें ?


पितृपक्ष


पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक समय है जो पितरों (पूर्वजों) की आत्माओं को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित होता है। यह अवधि 16 दिनों तक चलती है और इस दौरान कुछ विशेष कार्य किए जाते हैं और कुछ से बचने की सलाह दी जाती है। 


पितृपक्ष में क्या करें :- पितरों की शांति और आशीर्वाद के लिए महत्वपूर्ण उपाय


जयपुर, 8 सितम्बर। पितृपक्ष का समय हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष महत्व रखता है। यह अवधि 16 दिनों तक चलती है और इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करते हैं। इस दौरान किए गए धार्मिक कार्यों से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।


इस बार कब हैं पितृ पक्ष -



भाद्रपद की पूर्णिमा और अमावस्या से लेकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को पितृ पक्ष कहा जाता है। वर्ष 2024 में पितृ पक्ष 17 सितंबर 2024, मंगलवार, तिथि भाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा से प्रारंभ होकर 2 अक्टूबर 2024, बुधवार, सर्व पितृ अमावस्या, तिथि अश्विना, कृष्ण अमावस्या तक रहेंगे।





यहाँ जानिए पितृपक्ष में क्या करें :-


1. श्राद्ध और तर्पण :-

पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस समय पितरों को याद करते हुए उन्हें तर्पण किया जाता है। इस विधि में पितरों के नाम पर जल और तिल अर्पित किए जाते हैं।

2. पिंडदान :-

गयाजी और हरिद्वार जैसे पवित्र स्थानों पर जाकर पिंडदान करना बहुत शुभ माना जाता है। यह विधि पितरों की आत्मा की शांति के लिए आवश्यक मानी जाती है।

3. भोजन दान :-

इस दौरान ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन दान करने की परंपरा है। इसे 'महालय' के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इससे पितर तृप्त होते हैं और प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।

4. व्रत और उपवास :-

पितृपक्ष में व्रत रखने से व्यक्ति को अपने पितरों का आशीर्वाद मिलता है। इस समय में सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।

5. पवित्रता और संयम :-

पितृपक्ष के दौरान व्यक्ति को पवित्रता और संयम का पालन करना चाहिए। इस समय में अनावश्यक क्रोध, झगड़े और बुरे विचारों से बचना चाहिए।

6. ध्यान और प्रार्थना :-

रोजाना सुबह-शाम पितरों के नाम से ध्यान और प्रार्थना करना चाहिए। इससे मन की शांति और पितरों की कृपा प्राप्त होती है।






पितृपक्ष में भोजन का महत्व :-

पितृ पक्ष में भोजन का विशेष महत्व होता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं और उन्हें भोजन अर्पित करते हैं। यह भोजन सादा, सात्विक और बिना लहसुन-प्याज का होता है।


पितृ पक्ष में बनने वाले भोजन के कुछ सामान्य प्रकार :-


1. खिचड़ी :- चावल और दाल से बनी साधारण खिचड़ी।

2. पूरी और सब्जी :- आटे की पूरी और आलू की सब्जी।

3. खीर :- चावल, दूध और शक्कर से बनी खीर।

4. सादा दाल और चावल :-साधारण दाल और चावल।

5. पकवान :- कचौरी, पकौड़ी, पापड़ आदि।

6. फल और मिठाई :- मौसमी फल और घर में बनी मिठाइयां।

भोजन को तुलसी के पत्ते से शुद्ध किया जाता है और उसे पत्तल या केले के पत्ते पर परोसा जाता है। श्राद्ध में खासतौर पर दूध, घी, तिल, और गुड़ का प्रयोग किया जाता है।

पितरों के लिए भोजन बनाने में स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।


पितृ पक्ष में क्या न करें :-


1. शुभ कार्यों से परहेज :-

पितृपक्ष में विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यवसाय शुरू करना, आदि शुभ कार्यों से बचना चाहिए। इस समय को केवल पितरों के लिए समर्पित माना जाता है।

2. बाल कटवाना और नाखून काटना :-

इस अवधि में बाल और नाखून काटने से भी परहेज करना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।

3. मांसाहार और नशे से दूर रहें :-

पितृपक्ष में मांसाहार, शराब आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। यह पितरों की नाराजगी का कारण बन सकता है।


पितृपक्ष का समय पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का समय होता है। इसे श्रद्धा, भक्ति और नियमों के साथ करना चाहिए। इन दिनों में किए गए अच्छे कार्य व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाते हैं।


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