संजीवनी प्रकरण : गजेंद्र सिंह शेखावत को क्लीन चिट


- एसओजी की विस्तृत रिपोर्ट में कहा, शेखावत के खिलाफ नहीं है कोई सबूत

- जस्टिस अरुण मोंगा की बेंच ने आदेश पारित करते हुए कहा, रिपोर्ट के आधार पर नहीं बनता कोई मामला

जोधपुर/जयपुर 25 सितंबर। संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव प्रकरण में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान हाईकोर्ट से क्लीन चिट मिली गई है। दरअसल, शेखावत की ओर से दायर याचिका में एफआईआर के साथ-साथ जांच को भी रद्द करने को लेकर मांग की गई थी। 17 सितंबर 2024 को जस्टिस अरुण मोंगा की बेंच ने मामले में अंतिम आदेश पारित करते हुए एसओजी को इस सवाल का जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया कि ‘क्या एसओजी गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने का इरादा रखता है।’ मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की ओर से एक विस्तृत रिपोर्ट दायर की गई, जिसमें कहा गया कि गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं है और कंपनियों में निदेशक के रूप में उनके इस्तीफे के बाद किए गए कृत्यों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे में कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए निर्देश दिया कि एसओजी द्वारा प्रस्तुत की गई विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर याचिकाकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। एडवोकेट आदित्य विक्रम सिंह ने जानकारी दी कि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि एसओजी ट्रायल कोर्ट से अनुमति लिए बिना शेखावत के खिलाफ आगे की जांच नहीं कर सकती है।




- अदालत के फैसले पर बोले शेखावत, सत्य की जीत हुई

- संजीवनी प्रकरण : केंद्रीय मंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी कसा तंज

इधर, जयपुर में 25 इस मामले में अदालत के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज सत्य की जीत हुई है। किसी भी सत्य को झूठ के आडंबर से बहुत दिन तक नहीं ढंका जा सकता है। 

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम लिए बगैर उन पर तंज कसते हुए शेखावत ने कहा कि अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं, अपने बेटे की पराजय और प्रदेश की जनता द्वारा भाजपा को विजय दिलाने की खींझ से उपजी मानसिकता के तहत जिस तरह झूठे केस में मुझे घसीटने को कोशिश की गई थी। आज राजस्थान उच्च न्यायालय ने उस केस को बंद कर दिया है और आगे भी कोर्ट के आदेश के बिना जांच नहीं करने का आदेश भी दिया है। कोर्ट का आदेश इस बात बात को साबित करता है कि मुझे फंसाने का किस तरह का कुत्सित प्रयास किया गया था।

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