विधान सभा में कारगिल शौर्य वाटिका का शुभारंभ

राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने किया सिंदूर का पौधा लगाकर शौर्य वाटिका का शुभारम्भ

विधान सभा में बनाई गई है कारगिल शौर्य वाटिका

आज हरियाली अमावस्या पर पांच प्रजातियों के 1100 पौधे लगाये गए वाटिका में

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने किया कारगिल वीरांगनाओं का सम्मान



न्यूज़-75, जयपुर, 24 जुलाई।

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर विधान सभा परिसर में कारगिल शौर्य वाटिका का निर्माण किया गया है। इस वाटिका में आज गुरुवार को हरियाली अमावस्या पर एक हजार एक सौ पौधे लगाये गए। 

वीरांगनाओं ने लगाए शौर्य वाटिका में पौधे


कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ पर विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के साथ 21 वीरांगनाओं ने भी विधान सभा की कारगिल शौर्य वाटिका में पौधे लगाये। इस मौके पर सैनिक कल्याण मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड, वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा, सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजौर सहित अनेक विधायकों ने भी पौधारोपण किया।

वाटिका में लगाये गए पांच प्रजातियों के पौधे


राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बताया कि राजस्थान विधान सभा परिसर में कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिको की स्मृति में कारगिल शौर्य वाटिका की स्थापना की गई है। श्री देवनानी ने बताया कि इस वाटिका में सिंदूर, एरिका पाम, सांग ऑफ इण्डिया, किसना फाइकस और क्रोटोन प्रजाति के पौधे लगाये गए हैं।

वाटिका में लगाए गए हैं समृद्ध भारतीय सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता वाले पौधे


श्री देवनानी ने बताया कि वायु प्रदूषण को कम करने वाले यह पौधे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता के प्रतीक है। सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनाने वाले इन पौधों की पत्तियों का उपयोग पारम्परिक चिकित्सा प्रणाली में उपयोग किया जाता है।

कार्यक्रम में वीरांगनाओं का सम्मान भी किया गया


कार्यक्रम में सीकर, झुंझुनू, चूरु, जयपुर और कोटपुतली बहरोड जिले की 21 वीरांगनाओं का शॉल ओढाकर और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

शहीदों को समर्पित की गई है शौर्य वाटिका


राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बताया कि कारगिल युद्ध जो 1999 में कारगिल सेक्टर में लड़ा गया था, वह भारतीय सेना के साहस और बलिदान का महत्वपूर्ण उदाहरण है। शौर्य वाटिका इस युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की वीरता को समर्पित है। यह समाज के लिए राष्ट्र प्रथम की भावना को विकसित करने और उन्हें राष्ट्र सेवा की प्रेरणा देने का माध्यम है।

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