रोटी को तरसे संस्कृत शिक्षा विभाग में कार्यरत अतिथि सहायक आचार्य


न्यूज़ 75- जयपुर, 04 जुलाई। 

संस्कृत शिक्षा विभाग में विद्यासंबल योजना के तहत कार्यरत अतिथि सहायक आचार्यों को अक्टूबर 2024 के बाद से भुगतान नहीं हुआ है। पिछले 8 महीनों से भुगतान को तरस रहे इन लोगों ने सम्बन्धित प्राचार्य, संस्कृत शिक्षा आयुक्त, सचिव, शिक्षामंत्री और तो और मुख्यमंत्री कार्यालय तक गुहार लगा दी है, परंतु सुनने वाला कोई नहीं है। संबंधित अधिकारियों का कहना है कि वित्त विभाग से बजट प्राप्त नहीं होने के कारण भुगतान नहीं हो पा रहा है। इस सम्बन्ध में सहायक आचार्यों द्वारा सम्बन्धित प्राचार्य, संस्कृत शिक्षा आयुक्त, सचिव, शिक्षामंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यालय को कई बार प्रार्थना पत्र भी दिया जा चुका है। निर्धारित संस्थानों में लगभग 25 बार संपर्क करने का प्रयास किया गया है, परन्तु इस विषय में अद्यावधि समस्या का समाधान नहीं हुआ है। अतः समस्त सहायक आचार्यों की मांग है कि उन्हें अविलम्ब भुगतान किया जाये।


साथ ही वर्तमान सत्र 2025-26 हेतु नवीन विज्ञापन जारी नहीं हुआ है। राजस्थान में संस्कृत उच्च शिक्षा में 51 महाविद्यालय कागजों पर संचालित हैं, क्योंकि शास्त्री - आचार्य स्तर तक के 51 महाविद्यालयों में मात्र 35 स्थायी आचार्य कार्यरत हैं । वर्तमान में शास्त्री - प्रथम सेमेस्टर और आचार्य में नवीन छात्रों ने प्रवेश ले लिया हैं, परन्तु शिक्षकों के अभाव में उनकी शिक्षा पर ताला लगा हुआ हैं। ऐसे में संस्कृत शिक्षा में नामांकन संख्या कम होने का खतरा है। 


निदेशालय के अधिकारियों से प्राप्त मौखिक सूचना से यह ज्ञात हुआ हैं, कि इस सत्र में राजस्थान सरकार संस्कृत शिक्षा विभाग में विद्या संबल योजना से शिक्षक नहीं लगायेगी। जो योजना विगत 4 सालों से महाविद्यालयों में नियमित शिक्षकों के अभाव में भी संस्कृत को जीवित रखे हुई थी और संस्कृत छात्रों को बढ़ावा देकर संस्कृत का ज्ञान दे रही थी, आज वह संस्कृत के साथ-साथ मृत होती नजर आ रही हैं। अगर यह योजना संस्कृत शिक्षा विभाग में बन्द होती हैं, तो पूर्व सरकार द्वारा खोले गये नवीन संस्कृत महाविद्यालयों में ताले लग जायेंगे।

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